उपमुख्यमंत्री ने सुनी बैगाओं की व्यथा, ग्राम झूमर में बैगा संवाद सम्मेलन में हुए शामिल

कवर्धा। उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव ने ग्राम झूमर में आदिवासी जन वन अधिकार मंच द्वारा आयोजित बैगा संवाद सम्मेलन में भाग लिया। सम्मेलन में उन्होंने बैगाओ की विभिन्न समस्याओं को सुना और प्रशासन को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिये।

श्री सिंहदेव ने बैगा मुखिया द्वारा उठाए गए मुद्दे पर उन्होंने कहा, ”मैं विभिन्न प्रकार के वन अधिकार मुद्दों से अवगत हुआ हूं और कहना चाहूंगा कि वन अधिकार का दावा किसी भी समय किया जा सकता है।” मुझे छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा करने का अवसर मिला और जब मैं यहां आया तो मुझे एहसास हुआ कि इस क्षेत्र में अन्य कठिन क्षेत्रों की तुलना में अधिक बड़ी और अधिक समस्याएं हैं। यहाँ पर जो आवेदन पत्र प्राप्त हुए हैं उसे उड़न खटोला में भी नही ले जाया जा सकता।

उन्होंने जनता को आश्वासन दिया कि शीघ्र ही शिविर लगाकर क्षेत्र की समस्याओं का समाधान किया जाएगा। सम्मेलन में पंडरिया और बोड़ला तहसील के लगभग 4000 बैगा शामिल हुए। कार्यक्रम में बैगा समुदाय के अलावा अन्य वर्ग से भी भारी संख्या में लोग शामिल हुए। कार्यक्रम में आदिवासियों के अलावा अर्जुन तिवारी, पारस बंगानी, आनंद सिंह ठाकुर समेत अन्य लोग मौजूद थे।

प्रतिनिधिमंडल के अनुरोध पर ग्राम झूमर पहुँचे उपमुख्यमंत्री

कुछ माह पहले बैगाओं के 42 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने उपमुख्यमंत्री से रायपुर स्थित उनके आवास पर मुलाकात कर अपनी समस्याओं पर चर्चा की थी। इसके बाद उपमुख्यमंत्री ने बैगाओं को आश्वासन दिया था कि वे किसी भी बैगा बाहुल गांव में जाकर उनकी समस्याएं सुनेंगे और उनका समाधान करने का प्रयास करेंगे। इसी तारतम्य में प्रथम बैगा संवाद सम्मेलन झूमर में आयोजित किया गया।

सम्मेलन में मन्ना बैगा ने व्यक्तिगत वन अधिकार पट्टा प्राप्त करने में आ रही कठिनाइयों का जिक्र करते हुए कहा कि बैगाँचल में हजारों दावेदार अब तक विभिन्न बाधाओं के कारण दावा दायर करने में असमर्थ रहे हैं। जिन बैगाओं को पट्टा मिला, वे उनकी काबिज जमीन का एक छोटा सा हिस्सा है। कई बैगा परिवारों का दावा विभिन्न स्तरों पर अटकी हुई हैं। उन्होंने बताया कि ऊपर से कोई आदेश नहीं होने के कारण हवाला देते हुए पंचायत सचिव दावा नही ले रहे हैं। सचिवों का कहना है कि जब तक ऊपर से आदेश नहीं होगा वे आम ग्राम सभा में वन अधिकार का मुद्दा नहीं उठाएंगे और विशेष ग्राम सभा भी नहीं कर पाएंगे। इस संबंध में मन्ना बैगा ने ग्राम सभा स्तर पर वन अधिकार समिति गठित करने और उसे मान्यता देने, विशेष ग्राम सभा बनाने, जिनके पास पट्टे की जमीन कम है उनके लिए प्रावधान करने ताकि वे शेष जमीन पर दावा कर सकें, का प्रस्ताव रखा। साथ ही पंचायत सचिव को निर्देश किया जाए कि वे नए वन अधिकार पट्टा का दावा ले और आवेदन अगले स्तर पर भेजा जाए।

गोंठू बैगा ने कहा कि पूरे क्षेत्र में सामुदायिक वन प्रबंधन अधिकार नहीं दिए गए हैं। जो हासिल हुआ है वह भी सामुदायिक वन के एक छोटे से हिस्से तक पहुंच और उपयोग के अधिकार प्राप्त हुए हैं और वह भी अधिकांश स्थानों पर इन्हें ग्राम सभा के बजाय संयुक्त वन प्रबंधन समिति को हस्तांतरित कर दिया गया है। उन्होंने वन अधिकार प्राप्त करने के लिए वन अधिकार समिति का गठन गांव, टोला स्तर पर हो ना कि पंचायत स्तर पर, वन अधिकार पर विशेष ग्राम सभा करने का प्रावधान , शासन द्वारा निस्तार पत्रक जैसे आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराना, जीपीएस की अनिवार्यता को खत्म करना या प्रशासन द्वारा जीपीएस करने की व्यवस्था करना, संयुक्त वन प्रबंधन के नाम जारी सामुदायिक पट्टे को निरस्त करना और अभियान चला कर वन अधिकार कानून के तहत 3 (1) के प्रावधान अनुसार वन प्रबंधन अधिकार पत्र देना चाहिए उन्होंने उपमुख्यमंत्री से मांग कि वे हैवीटाइट राइट्स (बैगाओ के पर्यावास का अधिकार) की प्रक्रिया प्रारंभ करने के लिए जिला स्तरीय समिति को हीं निर्देशित करें।

दशमीन बाई बैगा ने स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के बारे में बात की और प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों और मितानिनों के पास सांप, बिच्छू और कुत्ते के काटने के लिए दवाओं की उपलब्धता की मांग की। गांव में डॉक्टर नियमित तौर पर आए जाए। जहां रोड नहीं वहां से मरीज लाने की विशेष व्यवस्था हो जो माह के अंतराल पर गांव में स्वास्थ्य शिविर लगे। आदिवासी जन वन अधिकार मंच की संयोजिका ने बताया कि बैग क्षेत्र में कुपोषण की विषम समस्या है और एक प्रामाणिक अध्ययन के अनुसार बड़ी संख्या में बैगा स्त्री पुरुष और बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित है। शासन को बैगा जनजाति के लिए विशेष व्यवस्था करते हुए पौष्टिक खाद्य सामग्री जैसे सोया वटी, फल्ली दाना, दालें उपलब्ध कराना चाहिए। पानी की समस्या पर बोलते हुए एनिमा बनर्जी ने बताया कि कई गांव में पानी की विकराल समस्या है। अभियान के तौर पर हैंडपंप लगवाया जाए और दलदली तथा कुछ अन्य क्षेत्रों में पेयजल की समस्या का परियोजना बनाकर और उनका क्रियान्वय कर स्थाई समाधान करने की आवश्यकता मांग की । दलदली क्षेत्र से आए लमतू बैगा ने बॉक्साइट खनन से विस्थापित हुए लोगों को उचित मुआवजा तथा उचित पुनर्वास की मांग रखी। उन्होंने जिला खनिज न्यास तथा सी एस आर के पैसों का खनन प्रभावित क्षेत्रों तथा लोगों में उचित तथा कारगर ढंग से खर्च करने की व्यवस्था पर बनाने पर जोर दिया। बिरजू बैगा में आवागमन की घनघोर समस्या पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि आवागमन की समस्या की वजह से स्वास्थ्य सुविधा लेने में अत्यंत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। साथ ही संग्रहित वनोपज को बहुत ही कम कीमत पर बिचौलियों को बेचना की मजबूरियों का जिक्र किया।

पुसुराम बैगा ने बैगा विकास प्राधिकरण को मजबूत करने की मांग की। उन्होंने कहा कि आबादी के हिसाब से प्राधिकरण का बजट बहुत कम है और प्लानिंग भी ऊपर से होती है। बजट बढ़ाया जाए और गांव के साथ विचार-विमर्श कर योजना बनाई जाए। लालजू बैगा ने मांग रखी कि मनरेगा की भूमि मरम्मत कार्य में सीढ़ी नुमा खेत बनाने का प्रावधान भी होना चाहिए। बैगा समुदाय के प्रदेश अध्यक्ष इतवारी मछिया ने बताया कि कई बैगा परिवारों की पूर्व से काबिज तथा पट्टा वाली जमीन को दबंगों ने कब्जा कर रखा है। उन्होंने मांग की उचित कार्रवाई कर बैगा परिवारों को उनकी जमीन वापस कराया जाए। उन्होंने कहा कि भैसा डबरा, अमली टोला, बदना, बीजापारा, उप, दीवान पटपर, चीताडबरी, नागा डबरा जैसे अनेक गांवों में लगभग 500 से भी ज्यादा बैगा परिवारों की जमीन पर दबंगों ने कब्जा कर रखा है। अमनिया में बैगाओं की शमशान भूमि पर तक कब्जा कर रखा है। उन्होंने यह भी बताया कि कई गांव में एक ही जमीन पर बैगा और अन्य समुदाय के नाम पर बना दिए गए हैं। सहेत्तरसिंह धुर्वे ने 12 गांव में बिजली लगाने और 3 गांव में स्कूल भवन बनवाने की मांग रखी। सम्मेलन में उपस्थित मुद्दों पर आवेदन भी उपमुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव को सौंपे गए हैं जिन पर उचित कार्रवाई करने का उन्होंने आश्वासन दिया।

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